कार सेवक कौन होते हैं- राम भक्तों की लंबी प्रतीक्षा पूरी हो चुकी है. उनका सबसे बड़ा स्वप्न पूरा हो चुका है. रामलला अपने मंदिर में विराजमान हो चुके हैं. उनकी प्राण प्रतिष्ठा भव्य तरीके से संपन्न हो चुकी है.
ऐसे में एक शब्द कारसेवक बहुत प्रचलित हो रहा है. जो राम मंदिर से संबंधित है. इस शब्द का राम मंदिर से उस समय का नाता है जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ढहाया गया था. लेकिन क्या आप जानते हैं. इस शब्द का क्या मतलब होता है. आखिर कार सेवक कौन होते हैं. अगर आप भी इस प्रश्न की जानकारी ढूंढ रहे हैं. तो इस आर्टिकल को अंत तक पूरा पढ़ें. आपको इससे जुड़े अनजाने पहलुओं की जानकारी मिलेगी.
कारसेवक कौन होते हैं
जब जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के संघर्ष के चर्चा होगी तब तब वर्ष 1990 में कार सेवकों के ऊपर गोलीकांड और 1992 में कार सेवकों के द्वारा बाबरी मस्जिद विध्वंस के घटना का जिक्र होगा.
असल में कार सेवक वे स्वयंसेवक होते हैं जो अपनी स्वेच्छा से निस्वार्थ भाव के साथ नि:शुल्क अपनी सेवा देते हैं. यही कारण है कि विश्व हिंदू परिषद के द्वारा आह्वाहन किये जाने पर 1990 में पूरे देश से कार सेवक अयोध्या में राम मंदिर के लिए पहुंचे थे. इससे स्पष्ट होता है कि कार सेवा किसे कहते हैं और कार सेवक कौन होते हैं.
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कारसेवक का अर्थ क्या होता है
अगर कार सेवक शब्द के शाब्दिक अर्थ की बात की जाए. तो यह मूल रूप से संस्कृत शब्द है. कार का अर्थ होता है हाथ और सेवक से तात्पर्य सेवा करने वाले से होता है. यानी वह स्वयंसेवक जो अपने हाथों से निस्वार्थ और निशुल्क कार्य करते हैं, उन्हें कार सेवक कहा जाता है. चूँकि भारत में इस तरह का कार्य धार्मिक अर्थों में ही किया जाता है, इसलिए कार सेवक शब्द को धार्मिक कार्यों से जोड़कर ही देखा जाता है.
कार सेवक शब्द वर्ष 1992 में तब चर्चा में आया जब 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद को गिराया गया था. ऐसा कहा जाता है कि उस समय विश्व हिंदू परिषद नामक हिंदू संगठन के द्वारा राम मंदिर निर्माण के उद्देश्य से कार सेवकों को अयोध्या भेजा गया था. ( यह जानकारी विकिपीडिया से ली गई है, अपनी किसी प्रकार की आपत्ति हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं)
कार सेवक किसे कहते हैं – इसका इतिहास
ऐसा कहा जाता है कि कार सेवक शब्द का जिक्र सिख धर्म के ग्रंथो में कई जगहों पर किया गया है. कुछ जानकारी का कहना है की जलियांवाला बाग के दौरान उधम सिंह ने कार सेवा की थी. इसके अलावा स्वर्ण मंदिर का निर्माण भी कार सेवा से ही संभव हुआ था.
कार सेवकों पर गोली किसने चलाई थी?
कहा जाता है कि राम मंदिर के लिए विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर पूरे देश से अयोध्या में कार सेवक आए हुए थे. और पहली बार बड़े ही नृशंस तरीके से 30 अक्टूबर 1990 को कार सेवकों पर गोलियां चलाई गई थी. जिसमें रिपोर्ट के अनुसार पांच लोगों की मौत हुई थी. लेकिन हालातों के गवाहों की मानें तो कहानी कुछ और ही थी. इस गोली कांड से पूरे देश का माहौल गर्म हो गया था. राम भक्त का गुस्सा चरम पर पहुंच गया था.
दुबारा हुआ बड़ा काससेवक गोली कांड
उस गोली कांड के दो दिन बाद 2 नवंबर को हजारों कार सेवक हनुमानगढ़ के करीब पहुंच गए थे. प्रशासन उन्हें रोकने की कोशिश कर रहा था. और इस रोकने की कोशिश में पुलिस ने कार सेवकों के ऊपर फिर गोली बरसा दी. और इस बार दर्जनों कार सेवक की मौत हो गई. यह उत्तर प्रदेश के उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आदेश पर हुआ था.
निष्कर्ष – कारसेवक कौन होते हैं. कार सेवकों पर गोली किसने चलाई थी. कार सेवक गोली कांड और उनका बलिदान. हमने हर उस सवाल का जवाब आपके समक्ष लाने की कोशिश की है. आपको हमारा यह प्रयास कैसा लगा, हमें कमेंट कर जरूर बताएं.