15 सी शताब्दी में समुद्री मार्ग की खोज के कर्म का वर्णन करें? | 15 Si shatabdi mein samudri marg ki khoj ke karno ka varnan karen

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15 सी शताब्दी में समुद्री मार्ग की खोज के कर्म का वर्णन करें

15वीं शताब्दी में समुद्री मार्ग की खोज की जरूरत क्यों हुई. – 15वीं शताब्दी में यूरोपीय लोगों की मसाले जिनमें काली मिर्च, दालचीनी और लौंग शामिल हैं, उनको लेकर काफी दिलचस्पी लेने लगे थे. इससे उनकी मांग बढ़ने लगी थी. इस आकर्षक व्यापार को बढ़ाने के कारण भारत और चीन के लिए समुद्री मार्गों की खोज होने लगी. इस आर्टिकल में 15 सी शताब्दी में समुद्री मार्ग की खोज के कर्म का वर्णन करें के सवाल का जवाब विस्तार से बताया गया है. इसीलिए आर्टिकल को अंत तक पूरा पढ़ें.

समुद्री मार्ग की खोज कितनी महत्वपूर्ण थी?

ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो 15वीं शताब्दी में समुद्री मार्ग की खोज एक बहुत बड़ी रोचक रोमांचक और महत्वपूर्ण खोज थी. क्योंकि उस समय यूरोप के लोग दुनिया के नए-नए देशों का भ्रमण कर उनकी खोज कर नए व्यापारिक मार्गों की स्थापना करने लगे थे.

पहले के जमाने में आज की तरह पर्यटन को लेकर क्रेज नहीं हुआ करता था. पहले के जमाने में व्यापारिक मार्ग से आना जाना बहुत महंगा पड़ता था. इसलिए इस तरह की चीजों को किया जाना वैसे समय में व्यापारिक लोगों के लिए ही संभव था. जैसे आज के समय में एलोन मस्क अंतरिक्ष यात्रा को लेकर उत्साहित हैं. वैसे ही उस समय में समुद्री मार्ग की खोज व समुद्री मार्ग को एक्सप्लोरर किए जाने को लेकर व्यापारी वर्ग उत्साहित होता था.

15 सी शताब्दी में समुद्री मार्ग की खोज के क्या कारण थे?

उत्तर – 15वीं शताब्दी में भारत और चीन के मसाले और अन्य सामानों की लोकप्रियता बढ़ने लगी थी. उस समय यूरोपीय लोग खाने को संरक्षित करने और उसका स्वाद बढ़ाने वाले मसाले के महत्व को समझने लगे थे. और विशेष रूप से यूरोपीय उच्च वर्गों में इसकी मांग अत्यधिक थी. इस वजह से यह बहुत मुनाफे का सौदा होता दिख रहा था. उस समय भारत और चीन को लेकर जो भी यातायात का मार्ग था या तो उस पर ऑटोमन साम्राज्य का एकाधिकार था जिस कारण वह सुरक्षित मार्ग के लिए व्यापारियों से भारी टोल की मांग करने लगे थे या वह बहुत लंबा और खर्चीली मार्ग था. इस वजह से वे विकल्प की तलाश में समुद्री मार्ग की खोज करने लगे. जिससे उनके लिए सस्ते खर्चे में आसानी से कम लागत पर सामान को आयात करना संभव हो सके.

15 सी शताब्दी में समुद्री मार्ग की खोज के कर्म का वर्णन करें
15 सी शताब्दी में समुद्री मार्ग की खोज के कर्म का वर्णन करें

इसके अतिरिक्त एक और कारण यह था कि वह सीधा व्यापारिक संबंध स्थापित करना चाहते थे. वह नहीं चाहते थे कि मसाला जैसे व्यापार में किसी बिचौलिए देश को भी मुनाफा दिया जाए. यही कारण है कि 15वीं शताब्दी में भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों के लिए नए समुद्री मार्गों की खोज हुई.

ऑटोमन साम्राज्य का अधिक टोल भी 15 सी शताब्दी में समुद्री मार्ग की खोज की प्रमुख वजह थी.

ऐसा कहा जाता है कि 15वीं और 16वीं शताब्दी में तुर्क और आसपास के क्षेत्र में तेजी से इस्लामीकरण हुआ. ऑटोमन साम्राज्य ने व्यापारियों के लिए मार्ग को शुरू किया और उसे नियंत्रित करने लगे. ऑटोमन साम्राज्य ने नियंत्रण के साथ सुरक्षित मार्ग के लिए व्यापारियों से अधिक भारी टोल की मांग करनी शुरू कर दी. उस समय भारत और चीन लगभग 25 से 30% जीडीपी के साथ सबसे अमीर देश हुआ करते थे. साधारण शब्दों में कहा जाए तो पूरी दुनिया का आधा व्यापार इन्हीं दोनों देश में होता था. इस वजह से दुनिया का हर देश इन दोनों देशों के साथ अपना व्यापारिक संबंध बनाए रखना चाहता था. यही कारण है कि भारत और चीन के लिए भूमि मार्ग में आए अवरोध की वजह से वह समुद्री मार्गों की खोज करने लगे. जो उनके लिए सुरक्षित आसान और कम लागत वाला होना था.

15वीं शताब्दी में समुद्री मार्ग की खोज के महत्वपूर्ण व्यक्ति कौन-कौन थे?

क्रिस्टोफर कोलंबस : इस समय तक संभवतः यूरोप के लोगों को यह ज्ञान हो गया था कि दुनिया गोल है और और इसीलिए वह जलीय मार्ग की संभावनाओं को एक्सप्लोर करने लगे थे. इस ज्ञान से उत्साहित होकर वर्ष 1493 ईस्वी में कोलंबस भारत की खोज के लिए पश्चिम की ओर रवाना हो गए. और चूँकि उन्होंने दिशा ही गलत पकड़ ली. इसलिए भारत को खोजने के बजाय उन्होंने अमेरिका की खोज कर डाली. उन पर भारत को खोजने का जुनून इस कदर उन पर सवार था कि अमेरिकियों के मूल निवासियों को उन्होंने रेड इंडियन तक कह डाला.

वास्कोडिगामा –

हालांकि यूरोपीय ने एक नई जगह की खोज कर ली थी. लेकिन वह संतुष्ट नहीं थे क्योंकि उन्होंने भारत की खोज नहीं की थी. वे भारत तक नहीं पहुंच पाए थे. उन्हें अब तक भी वह समुद्री मार्ग नहीं पता था जो भारत तक उनको पहुंचाता. उस समय यह धारणा थी कि अगर आपको अमीर बनना है तो आपको बस एक बार भारत आना है और आपका जहाज भरकर वापस अपने स्वदेश लौट जाना है. इस तरह आप अमीर बन चुके हैं फिर आपको जीवन भर दोबारा काम करने की जरूरत नहीं है. इसका प्रसंग शेक्सपियर द्वारा रचित मर्चेंट ऑफ वेनिस से भी लिया जा सकता है. जब भारत से एंटोनियो के जहाज वापस पहुंचे थे तो हर कोई खुश था और कुछ इस तरह कहानी समाप्त हुई थी.

इसलिए भारत तक पहुंचाने का समुद्री मार्ग की खोज का जुनून कम नहीं हुआ था. वह यूरोपीय लोगों में बना हुआ था. इनमें से ही एक था पुर्तगाल का एक युवा नाविक वास्कोडिगामा. जिसने पूर्वी दिशा की तरफ यात्रा की. वह अफ्रीका के पूर्वी तट पर पहुंचा. और वहां से केरल के कोझीकोड तक पहुंचने के लिए एक गुजराती नाविक की सहायता ली.

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अंग्रेजों को मिल गया सोने की चिड़िया देश का पता

16वीं शताब्दी में ऐसी घटना हुई कि कुछ पुर्तगाली जहाज भारत से वापस लौट रहा था. रास्ते में अंग्रेजों ने उस जहाज को रोक लिया और इस तरह उन्हें भारत से लाया बहुत कीमती सामान हाथ लग गया. यह खबर जब अंग्रेजों में फैली तो अंग्रेज व्यापारी भी भारत में दिलचस्पी लेने लगे. शायद यह वही दौर था जब भारत को सोने की चिड़िया का देश कहा जाता था. और इसके बाद धीरे-धीरे दिलचस्पी बढ़ने लगी और सन 1757 में ईस्ट इंडिया कंपनी नमक कंपनी ने भारत के साथ व्यापार शुरू किया और उसके बाद का इतिहास तो सभी जानते हैं.

15वीं शताब्दी में समुद्री मार्गों के खोज से क्या प्रभाव हुए

1. यह वैश्वीकरण की प्रक्रिया की शुरुआत थी समुद्री मार्ग की खोज ने दुनिया को उसी तरह प्रभावित किया. जैसे एक तरह से आज के समय में इंटरनेट करता है. वैसे ही समुद्री मार्ग की खोज के साथ संबंध जोड़ने का एक नया माध्यम मिल गया था. यातायात का एक ऐसा माध्यम जिससे दो देश संपर्क स्थापित करने लगे थे. चाहे वह संबंध व्यापारिक ही क्यों ना हो. दो संस्कृतियाँ आपस में एक दूसरे से संपर्क में होने लगे थे. जिससे व्यापारिक, सांस्कृतिक और वैचारिक आदान-प्रदान शुरू हो गया था.

2. नई तकनीक का विकास – इससे नई तकनीक के विकास को बढ़ावा मिला क्योंकि समुद्री मार्ग बहुत आसान मार्ग नहीं था. एक छोटी सी चूक बड़ी गलती साबित हो सकती थी. इसलिए तकनीक का उन्नत होना बहुत आवश्यक था. यही कारण है कि नई-नई तकनीक खोजी जाने लागी जिससे समुद्री मार्ग की यात्रा और सुलभ और सुरक्षित हो.

3. इससे यूरोपीय समृद्ध हुए. क्योंकि उस समय यूरोप के लोग को शक्ति की समझ होने लगी थी. उन्हें व्यापार की समझ होने लगी थी. और उस व्यापार की समझ के साथ वह अपने साम्राज्य का विस्तार करने लगे थे. वह दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अपना व्यापार फैलाने लगे थे. और अपने नए उपनिवेश स्थापित करने लगे थे.

4. अगर लंबे समय के दौर में देखा जाए तो यह भारत के लिए नुकसानदायक साबित हुआ. क्योंकि भारत सीधे आक्रमण के लिए तो हमेशा तैयार रहा लेकिन रास्ते के एक्सप्लोर होने के साथ ईस्ट इंडिया कंपनी ने व्यापार के बहाने सोने की चिड़िया रहा भारत को जिस तरह लूटा और इसे गुलाम बनाया. यह भारत के लिए कहीं से भी
सकारात्मक नहीं रहा.

15 सी शताब्दी में समुद्री मार्ग की खोज से किस तरह बदली दुनिया

वैसे देखा जाए तो 15 सी शताब्दी में समुद्री मार्ग की खोज उस समय के लिए वैसी ही बड़ी खोज थी. जैसे आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को समझा जाता है. इसने पूरी दुनिया को बहुत सकारात्मक रूप से प्रभावित किया. सभ्यताओं की खोज हुई. दुनिया ने एक दूसरे की संस्कृति को जाना. जानकारी का आदान-प्रदान हुआ और लोग जो एक तरह से स्थलीय मार्ग नहीं होने के कारण कटे हुए थे वह एक दूसरे के संपर्क में आए. इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि यह वैसे समय के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण खोज थी जिसे पूरी दुनिया को बदल दिया.

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