Chaiti Chhath puja 2024: छठ पूजा हिंदू धर्म का विशेष महत्व वाला पर्व है. यह पूरे वर्ष में दो बार मनाया जाता है. एक बार यह चैत्र मास में मनाया जाता है. जो प्रायः अप्रैल महीने में आता है. दूसरा कार्तिक मास में जो अक्टूबर या नवंबर के महीने में आता है. इस पर्व में भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा की जाती है. लेकिन इस पर्व की खासियत यह है कि इस पर्व को मनाने के दौरान ना तो किसी विशेष पूजा अनुष्ठान की आवश्यकता होती है. ना किसी पंडित या पुरोहित की आवश्यकता होती है. यह पूजा एक तरह से कठिन भी है. और सरल भी.
सरल इसलिए क्योंकि इसके नियम हमारी जीवनशैली से जुड़े हुए हैं. और कठिन इसलिए क्योंकि इसमें व्रती लगभग दो दिन का उपवास रखते हैं. जिसमें उन्हें न कुछ खाना होता है ना कुछ पीना होता है. तो आईए जानते हैं कि अप्रैल में छठ पूजा कब है.
अप्रैल में छठ पूजा कब है (chaiti chhath puja 2024 date)
हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2024 में चैती छठ अप्रैल महीने में 12 अप्रैल से जो की नहाय खाय के साथ शुरू होगा. और 15 अप्रैल को सुबह के अर्ध्य देने के साथ इसका समापन होगा.
छठ पूजा की पूरी तिथि
यह पूजा चार दिनों तक चलती है. इस पूजा की शुरुआत नहाए खाए के साथ होती है. इसके बाद खरना किया जाता है. और खरना के बाद जो व्रती माताएँ या बहनें होती हैं. वह पूरी तरह से निर्जला उपवास रखती हैं. और यह उपवास पूरे 2 दिन का होता है. दूसरे दिन सूर्योदय के अर्थ देने के पश्चात वह पारण करती हैं.
- नहाय खाय – 12 अप्रैल 2024 दिन शुक्रवार
- खरना – 13 अप्रैल 2024 दिन शनिवार
- संध्या अर्ध्य – 14 अप्रैल 2024 दिन रविवार
- सूर्योदय अर्ध्य और पारण – 15 अप्रैल 2024 दिन सोमवार
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१. Chaiti chhath puja Nahay khay | चैती छठ नहाय खाय:
वर्ष 2024 में चैती छठ का नहाए खाए 12 अप्रैल को है. इस दिन से छठ पर्व की शुरुआत हो जाती है. नहाए खाए के साथ सात्विकता का विशेष ध्यान रखा जाता है. इस दिन साफ सफाई को ध्यान में रखते हुए गेहूं और चावल को छत पर सुखाया जाता है. और घर की महिलाएं साथ में बैठी रहती हैं कि कोई पक्षी भी उस गेहूं या चावल को जूठा ना करें. इस दिन को कद्दू भात के नाम से भी जाना जाता है. असल में इस दिन लौकी से संबंधित अलग-अलग व्यंजन बनते हैं और चावल बनता है. जिसे सभी प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैं.
2. Chaiti chhath puja Kharna | चैती छठ खरना :
वर्ष 2024 में खरना 13 अप्रैल को है. इस दिन शनिवार का दिन है. इस दिन व्रती दिनभर उपवास रखती है. और शाम के समय मिट्टी के बने नए चूल्हे पर गोबर के बने उपल को जलावन के तौर पर उपयोग में लाते हैं. और उस पर अलग-अलग जगह कहीं मीठी खीर बनती है. तो कहीं नमकीन प्रसाद तैयार होता है. व्रती पूजन के पश्चात इसे सबसे पहले ग्रहण करती है. फिर परिवार के अन्य सदस्य उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. और इस के बाद व्रती निर्जला उपवास की शुरुआत करती है. जो लगभग दो दिन चलता है. इसका पारण छठ पर्व के समापन के साथ ही किया जाता है.
3. Chaiti chhath pahla arghya | चैती छठ पहला अर्घ्य
इस वर्ष चैती छठ का पहला अर्ध्य या संध्या अर्ध्य 14 अप्रैल यानी रविवार के दिन है. इस दिन व्रती पैदल चलकर पास के नदी या तालाब में खड़ी होकर शाम के समय अस्त होते हुए सूर्य भगवान को प्रणाम करती है. उनके हाथ में बांस के बने सूप या पीतल या अन्य धातु के बने बर्तन में प्रसाद के तौर पर बनाए गए पकवान, लड्डू और इसके साथ-साथ फल होते हैं. जिसे वह सूर्य देव को अर्पित करते हुए पूजन करती हैं. और परिवार के अन्य सदस्य सूर्य भगवान को अर्ध्य देते हैं.
4. Chaiti chhath dusra arghya aur paran | चैती छठ दूसरा अर्घ्य और पारण
इस वर्ष या दूसरा अर्ध्य 15 अप्रैल को है. और इस दिन सोमवार का दिन है. दूसरे अर्ध्य में उदय होते हुए सूर्य भगवान की आराधना की जाती है. इस समय व्रती महिलाएं सूर्योदय के पहले ही पोखर, तालाब या पास के नदी में खड़ी होकर उनके उदय होने का प्रतीक्षा करती हैं. और मन ही मन उनकी आराधना करती हैं और उदय होते हुए सूर्य को शाम की ही तरह नए सूप अर्पित किए जाते हैं. और परिवार के अन्य सदस्य उसी तरह अर्ध्य देते हैं. और इसके पश्चात व्रती अपना पारण करती है यानी अपने उपवास को तोड़ती हैं.
छठ पर्व के ज़रूरी नियम
- छत पर्व में प्लास्टिक के बर्तन उपयोग नहीं किए जाते हैं.
- छठ पर्व नहाय खाय के साथ शुरू होती है. और इस दिन से पूरे सात्विकता का ध्यान रखा जाता है.
- छत पर बहुत कठोर पर होता है क्योंकि सूर्य की उपासना बहुत आसान नहीं होती है. ऐसे में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है.
- छठ पर्व के दौरान घर में प्याज और लहसुन के उपयोग की मनाही होती है.
- छठ पर्व को लेकर बनने वाले सारे प्रसाद किसी धातु के बने बर्तन में ही बनाए जाते हैं. प्रायः पीतल के बर्तनों का उपयोग किया जाता है.
- छठ पर्व के अर्ध्य के दौरान बांस के बने टोकरी या सूप का उपयोग किया जाता है.
- सूर्य देव को अर्ध्य देने के लिए भी किसी प्लास्टिक के बर्तन का प्रयोग नहीं होता है.
- छठ व्रत के नियम बहुत कड़े हैं. इसमें एक छोटी सी गलती भी अक्षम्य होती है.
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