महादेवी वर्मा के बाबा उन्हें क्या बनना चाहते थे? | Mahadevi verma ke baba unhe banna chahte the

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महादेवी वर्मा के बाबा उन्हें क्या बनना चाहते थे?- दोस्तों काव्य जगत में महादेवी वर्मा का नाम बहुत बड़ा है. उन्हें काव्य जगत की आधुनिक मीरा भी कहा जाता है. 80 साल के जीवन काल में उन्होंने जिंदगी के कई रूपों में बुलंदियों को छुआ. महान कवित्री, प्राचार्य, उपकुलाधिपति ये उनकी अलग-अलग पहचान हैं.

इस आर्टिकल में हम उनसे जुड़ी बहुत ही खास बातों को जानेंगे. यह भी जानेंगे कि महादेवी वर्मा के बाबा उन्हें क्या बनना चाहते थे. इसलिए आप कोई जानकारी मिस ना कर जाए, आर्टिकल को पूरा पढ़िएगा.

महादेवी वर्मा के बाबा उन्हें क्या बनना चाहते थे?

हम कुछ भी जानने से पहले उनकी पृष्ठभूमि जान लें फिर आपके लिए यह जानना और दिलचस्प हो जाएगा कि महादेवी वर्मा के बाबा उन्हें क्या बनना चाहते थ.

महादेवी वर्मा का संक्षिप्त परिचय

इनका जन्म 26 मार्च 1907 को हुआ था. इन्हें हिंदी भाषा की सर्वाधिक प्रतिभावान रचयिताओं में से एक माना जाता है. इन्हें काव्य जगत की आधुनिक मीरा भी कहा गया है. इसके साथ-साथ बहुत कम ही लोग यह जानते होंगे कि वह विख्यात चित्रकार भी थी. कहा जाता है कि इन्होंने अपने काव्य जीवन की शुरुआत 7 वर्ष की आयु से ही शुरू कर दी थी.

महादेवी वर्मा एक खुले विचार वाले परिवार में जन्मी और पली बढ़ी थी. वह इसके लिए खुद को सौभाग्यशाली मानती थी. इस बात का जिक्र वह अपनी एक रचना ‘मेरे बचपन के दिन’ में की हैं.

प्रमुख सवाल

ऐसे समय में जब परिवार के लिए बेटियां बोझ मानी जाती थी. महादेवी वर्मा को वह सारी सुख सुविधा मिली जो एक बेटी के लिए उस समय एक सपना से काम नहीं था. वह कहती थी कि यह उनका सौभाग्य था कि ऐसे परिवार में उनका जन्म हुआ जो आजाद विचारों का था. उन्होंने अपनी कविता मेरे बचपन के दिन में इस बात को लेकर खुलकर कही है. उनके अनुसार उनके दादाजी उन्हें विदुषी बनाना चाहते थे. वहीं उनकी मां हिंदी और संस्कृति की जानकारी थी और धार्मिक कार्यों में रुचि रखती थी और यह उनकी मां का प्रभाव ही था कि महादेवा वर्मा जी को कविता लिखने और साहित्य में रुचि हो गई.

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इसके साथ-साथ उनसे जुड़ी खास बातें

वे पढ़ाई में काफी मेधावी थी. इन्होंने अपनी आठवीं कक्षा में पूरे प्रांत में पहला स्थान लाया था.

जब इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की तब तक एक सफल कवित्री के रूप में खुद को स्थापित कर चुकी थी. उनकी पहचान एक सफल कवित्री की हो चुकी थी. यह अपने आप में वैसे समय के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी.

उनका जीवन एक सन्यासन की तरह बिता. उन्होंने जीवन भर श्वेत वस्त्र ही पहना, तख़्त पर ही सोई और कभी शीशे का मुंह नहीं देखा.

महादेवी वर्मा स्वतंत्रता संग्राम में भी एक सेनानी की तरह सक्रिय रही. इसके पीछे महात्मा गांधी का प्रभाव बताया जाता है.

निष्कर्ष – महादेवी वर्मा के जीवन को जानना काफी रोचक है. उस समय की कल्पना कीजिए जब बेटियों को परिवार के लिए बोझ माना जाता था. वैसे समय में एक बेटी जिन्हें सौभाग्य से ऐसे परिवार में जन्म मिला. जो खुले विचारों का था. उन्होंने महादेवी वर्मा को पंख खोलने के अवसर दिए और यह महादेवी वर्मा की प्रतिभा थी कि उन्होंने उस अवसर को क्या खूब भुनाया. और काव्य जगत की आधुनिक मीराबाई बन गई. महादेवी वर्मा के बाबा उन्हें क्या बनना चाहते थे हम आशा करते हैं कि आपको इस सवाल का जवाब मिल गया होगा. ऐसे ही रोचक तथ्य को जानने के लिए इस वेबसाइट से जुड़े रहे. और अपने किसी भी सवाल को कमेंट बॉक्स में लिख दें.

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