स्वतंत्रता को लेकर लड़ाई बहुत लंबी रही है. मानव इतिहास में ऐसे कई संघर्ष हुए हैं जो स्वतंत्रता को लेकर ही हुए हैं. ऐसा देखा गया है कि अधिक शक्तिशाली समूह कुछ लोगों या समुदायों पर नियंत्रण पाना चाहते हो, उनका शोषण करना चाहते हो और उन्हें गुलाम बनाना चाहते हो और उसके बदले में व्यक्ति या समुदाय पर पूरा अधिकार कर लिया हो. यह स्वतंत्रता की अवधारणा के विपरीत होता है.
ऐसी स्थिति के बाद ही स्वतंत्रता की अवधारणा का जन्म होता है. तो इस आर्टिकल में हम स्वतंत्रता के बारे में जानेंगे और नकारात्मक स्वतंत्रता की दो विशेषताएं लिखिए प्रश्न का उत्तर समझेंगे.
स्वतंत्रता क्या है?
अगर सरल रूप से स्वतंत्रता को समझा जाए तो यह वह स्थित है जब लोग अपने जीवन और अपनी गतिविधियों का नियंत्रण अपने पास रखना चाहते हैं. वह चाहते हैं कि उनकी अपनी इच्छाओं और कार्यकलापों को लेकर स्वतंत्र माहौल सुनिश्चित हो. वह आजाद तरीके से अपनी इच्छाओं को व्यक्त कर सके. इसको लेकर उन्हें अवसर मिलना सुनिश्चित हो.
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स्वतंत्रता की परिभाषा क्या है?
स्वतंत्रता की परिभाषा को समझने के लिए नेल्सन मंडेला के संघर्ष को संदर्भ के रूप में लिया जा सकता है. वह 20वीं शताब्दी के महानतम व्यक्तियों में से एक थे. उन्होंने अपनी आत्मकथा “लोंग वॉक टू फ्रीडम” यानी “स्वतंत्रता के लिए लंबी यात्रा” में अपनी स्वतंत्रता को लेकर संघर्ष का जिक्र किया है. उन्होंने उसमें इस बात का उल्लेख किया है कि दक्षिण अफ्रीका में गोरे लोगों के शासन के दौरान दक्षिण अफ्रीका के ही काले लोगों को अपमान, कठिनाइयों और कई तरह के अत्याचारों का सामना करना पड़ा. उन पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए. नेल्सन मंडेला उन्हें उन्हीं अन्याय पूर्ण प्रतिबंधों और स्वतंत्रता को लेकर आने वाले बधाओं को दूर करने के लिए संघर्षरत रहे.
बात अगर स्वतंत्रता के परिभाषा की की जाए तो इसका सरल जवाब यह होगा कि किसी व्यक्ति पर बाह्य प्रतिबंधों का अभाव ही स्वतंत्रता है. इसे सरलता से समझते हुए यह कहा जा सकता है कि कोई व्यक्ति अगर किसी बाहरी या नियंत्रण दबाव में नहीं है. उसे अपने निर्णय के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है. वह स्वतंत्र तरीके से व्यवहार कर सकता है और अपने इच्छाओं या आकांक्षाओं को व्यक्त कर सकता है, तो वह व्यक्ति स्वतंत्र माना जाएगा. हालांकि अगर बात यहां प्रतिबंधों की की जाए तो व्यापक अर्थ में प्रतिबंधों को लेकर भी कुछ सीमाएं होती है. यानी स्वतंत्रता को लेकर भी कुछ सीमाएं होती जिसे हम फिर कभी समझने का प्रयास करेंगे.
नकारात्मक स्वतंत्रता; स्वतंत्रता का एक आयाम होता है
स्वतंत्रता के भी दो पहलू होते हैं एक नकारात्मक स्वतंत्रता और एक सकारात्मक स्वतंत्रता. नकारात्मक स्वतंत्रता उस क्षेत्र को पहचान और उसे बनाए रखने का प्रयास करती है जिसमें व्यक्ति जो होना, बनना या करना चाहता है. वह बन सके या कर सके. इसको लेकर उन्हें पूर्ण अवसर प्रदान किए जाएं. नकारात्मक स्वतंत्रता ऐसा क्षेत्र होता है जिसमें किसी बाहरी सत्ता का हस्तक्षेप नहीं होता है.
नकारात्मक स्वतंत्रता की दो विशेषताएं इस प्रकार हैं:
१. नकारात्मक स्वतंत्रता की पहली विशेषता की बात की जाए तो इसे उस क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो व्यक्ति के जीवन से संबंध रखता हो. जहां व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन में, उनके आकांक्षाओं में किसी भी बाह्य हस्तक्षेप की अनुपस्थिति होती है. यानी जहां कोई भी सरकार या प्राधिकरण या कोई संस्था किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं कर सकती है. अर्थात व्यक्ति अपने इच्छा के अनुसार कार्य करने के लिए स्वतंत्र होता है. लेकिन इस स्वतंत्रता के साथ भी उनकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी होती है कि वह किसी अन्य व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर रहे हो.
2. नकारात्मक स्वतंत्रता की दूसरी विशेषता की बात की जाए तो इसकी दूसरी विशेषता होती है बाधाओं की अनुपस्थिति का होना. इसका मतलब यह होता है कि व्यक्ति किसी बाह्य नियंत्रण से मुक्त होता है.
नकारात्मक स्वतंत्रता से संबंधित उदाहरण
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: इसे इस तौर पर समझा जा सकता है कि व्यक्ति अभिव्यक्त करने की अपनी भाषा को चुनने की आजादी पाता है. वह अपनी पसंद की भाषा बोलने को लेकर स्वतंत्र होता है. लेकिन इसकी यही एक सीमा है कि वह किसी अन्य को धमकाने या भेदभाव फैलाने को लेकर स्वतंत्र नहीं होता है.
धार्मिक स्वतंत्रता: इसके तौर पर सरल शब्दों में यह समझा जाए कि कोई भी व्यक्ति अपनी धार्मिक मान्यताओं को मानने के लिए और उस अनुसार अपना जीवन व्यतीत करने के लिए स्वतंत्र होता है. लेकिन इसकी यही एक सीमा है कि वह अपनी व्यक्तिगत धार्मिक मान्यताओं को किसी और के ऊपर नहीं थोपना चाहे या उसकी व्यक्तिगत मान्यताओं से किसी अन्य व्यक्ति को किसी प्रकार की हानि नहीं होती हो.