संकलन की प्रस्तुत ऊष्मा किसे कहते हैं | Sankalan ki prastut ushma kise kahte hai

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Sankalan ki prastut ushma kise kahte hai

संकलन की प्रस्तुत ऊष्मा किसे कहते हैं दोस्तों आपने पदार्थ के बारे में तो जरूर पढ़ा होगा. और अगर पदार्थ के बारे में पढ़ा होगा. तो पदार्थ की अवस्थाओं के बदलने से संबंधित अवधारणाओं के बारे में भी पढ़ा होगा. ऐसे में एक सवाल आता है कि आखिर संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा किसे कहते हैं.

हम इस आर्टिकल में इसी सवाल का जवाब गहराई से ढूंढने का प्रयास करेंगे. इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक पूरा पढ़ें जिससे आपको बहुत बेसिक जानकारी मिल सके.

संकलन की प्रस्तुत ऊष्मा किसे कहते हैं

कक्षा 10 में विज्ञान में कई अवधारणा के बारे में जाना था. उन्हीं अवधारणाओं में से एक अवधारणा यह थी कि क्या पदार्थ अपनी अवस्था को बदल सकता है? और अगर बदल सकता है तो बदलने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? वह कौन से कारक हो सकते हैं? जिसकी वजह से पदार्थ अपनी अवस्था बदल सकता है. इन्हीं सब सवालों के साथ जब हम आगे बढ़ते हैं. तो यह बहुत बेसिक सी चीज हमें पता होता है कि पदार्थ की तीन अवस्थाएं होती हैं ठोस, द्रव और गैस.

पदार्थ की होती है तीन अवस्थाएं

पदार्थ की अवस्था में बदलाव नहीं तीनों को लेकर होता है. आखिर सवाल यह भी आता है कि अवस्था बदलने के दौरान पदार्थ के अंदर क्या होता है. ऐसे कौन से परिवर्तन होते हैं जिसकी वजह से पदार्थ की अवस्था बदल जाती है. या अवस्था में बदलाव के कारण पदार्थ के अंदर के कणों पर क्या प्रभाव पड़ता है.

यह सब इसलिए जानना ज़रूरी है क्योंकि संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा किसे कहते हैं यह इसी से जुड़ी है.

संकलन की प्रस्तुत ऊष्मा किसे कहते हैं यह जानने से पहले यह जानना यह जानें कि संगलन क्या होता है.

पदार्थ की होती है तीन अवस्थाएं

संगलन क्या होता है?

जब ठोस का तापमान बढ़ाया जाता है तो उसके कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है. गतिज ऊर्जा बढ़ाने के कारण उन कणों का कंपन या गति तेज हो जाता है. हम सभी जानते हैं कि ठोस के कणों के बीच आकर्षण बल सबसे ज्यादा होता है. इसी वजह से वह अपने आकार को बनाए रखते हैं. लेकिन जब उन्हें ऊष्मा दी जाती है तो उस वजह से गतिज ऊर्जा बढ़ती है. इस कारण उनके बीच का आकर्षण बल कमजोर पड़ जाता है. इसके बाद कण अधिक स्वतंत्र होकर गतिमान हो जाते हैं. और फिर एक अवस्था आती है जब ठोस पदार्थ द्रव अवस्था में बदल जाता है.

ठोस से द्रव अवस्था में परिवर्तन होने की इसी प्रक्रिया को यानी ठोस से द्रव में गलन की इसी प्रक्रिया को संगलन कहते हैं

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गलनांक क्या होता है?

जिस न्यूनतम तापमान पर ठोस पदार्थ बदलकर द्रव बन जाता है, वही तापमान उस ठोस पदार्थ का गलनांक कहलाता है.

मुख्य सवाल – संकलन की प्रस्तुत ऊष्मा किसे कहते हैं?

संकलन की प्रस्तुत ऊष्मा किसे कहते हैं?

अब आते हैं अपने मुख्य सवाल पर कि संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा किसे कहते हैं. अब आपने संगलन समझ लिया है.

ऐसा देखा गया है कि संगलन के दौरान यानी ठोस से द्रव में परिवर्तन के दौरान ठोस का तापमान समान ही रहता है. और यह तापमान तब भी नहीं बदलता है जब पूरा का पूरा ठोस द्रव में परिवर्तित नहीं हो जाता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बाह्य रूप से दी गई ऊष्मा का उपयोग ठोस के कणों के आपसी आकर्षण बल पर काबू करने में होता है. इस बाह्य तौर पर दी गई ऊष्मा से तापमान में कोई परिवर्तन नहीं देखा जाता है इसलिए इसे छुपी हुई ऊष्मा या प्रसुप्त ऊष्मा कहा जाता है. प्रसुप्त का अर्थ ही छुपा हुआ होता है.

संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा की परिभाषा – वायुमंडलीय दबाव पर एक किलो ठोस को उसके गलनांक पर द्रव में बदलने के लिए जितनी उष्मीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसे ही संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा कहते हैं.

संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा का उदाहरण :

उदाहरण के तौर पर सबसे आसान उदाहरण बर्फ का ले सकते हैं. सभी जानते हैं कि बर्फ का गलनांक जीरो डिग्री सेल्सियस होता है. अब जीरो डिग्री सेल्सियस पर ही बर्फ को द्रव में बदलने के लिए जितनी उष्मीय ऊर्जा की आवश्यकता होगी. वही उष्मीय ऊर्जा बर्फ के लिए संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा कहलाएगी.

संकलन की प्रस्तुत ऊष्मा किसे कहते हैं?

निष्कर्ष – संकलन की प्रस्तुत ऊष्मा किसे कहते हैं

हम आशा करते हैं कि आपने संगलन और संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा किसे कहते हैं. इसे पूरी तरह से समझ लिया होगा. हम आपके लिए बेहद आसान भाषा में जटिल से जटिल कांसेप्ट को बताने की कोशिश करते हैं। इसलिए ऐसे कंटेंट के लिए इस वेबसाइट पर विजिट करते रहें. और अपने किसी सवाल को हमारे कमेंट बॉक्स में लिख दें.

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