दोस्तों यह सवाल जीव विज्ञान का है कि परगना पुष्प के किस अंग के भीतर निर्मित होते हैं (Paragan pushp ke kis ang ke bhitar nirmit hote hai). तो आपको बता दे कि परगना पुष्प के नर प्रजनन अंग पुंकेसर अंग के भीतर परागकोष में निर्मित होते हैं. यह अंग पुंकेसर पुष्पों के निषेचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
जब परागकण अपने पुंकेसर के पराग कोष से किसी भी माध्यम से अन्य पौधे के मादा अंग के वर्तिकाग्र तक पहुंच जाती है. तो इस प्रक्रिया को परागण नाम से जाना जाता है.
सरल भाषा में अगर कहा जाए. तो परागण वह प्रक्रिया होती है. जिसमें विभिन्न माध्यमों से एक पुष्प के पुंकेसर के पराग कोष से परागकण उसी जाति के पौधे के वर्तिकाग्र तक पहुंच जाती है.
परगना के मुख्यतः तीन प्रकार होते हैं
- स्वयुग्मन (autogamy)
- सजात पुष्पी परागण (Gitonogamy)
- पर परागण पर निषेचन (Xenogamy)

1. स्वयुग्मन (autogamy)
जब एक पुष्प के मादा भाग से परागकण उसी पुष्प के मादा भाग में पहुंच जाता है. तो इस प्रकार के परागण को ही स्वयुग्मन (autogamy) कहते हैं.
2. सजात पुष्पी परागण (Gitonogamy)
इस प्रकार के परागण में एक ही पौधे के दो अलग-अलग पुष्प शामिल होते हैं. जब एक ही पौधे के दो अलग-अलग पुष्प के मध्य परागण की क्रिया होती है. तो उसे सजात पुष्पी परागण (Gitonogamy) कहते हैं.
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3. पर परागण पर निषेचन (Xenogamy)
इसमें एक ही जाति के दो अलग-अलग पौधों के पुष्पों के बीच क्रिया होती है. जब एक ही जाति के दो अलग-अलग पौधों के पुष्पों के बीच परागण की क्रिया होती है. तो उसे ही पर परागण पर निषेचन कहते हैं.
परगना पुष्प के पुकेंसर के भीतर निर्मित होते हैं. यह तो हम जान गए हैं अब अगर पुंकेसर के भागों की बात की जाए. तो इसके मुख्यतः दो भाग होते हैं : एक होता है तंतु और दूसरा होता है पराग कोष.
तंतु उस डंठल वाले भाग को कहते हैं जो पराग कोष को सहारा देता है. या पराग कोष जिस सहारे टिका होता है.
पराग कोष पुंकेसर का वह भाग होता है जो परागकणों का उत्पादन करता है. इससे इस भाग की महत्ता समझी जा सकती है.
सवाल: परगना पुष्प के किस अंग के भीतर निर्मित होते हैं
जवाब : परगना पुष्प के नर अंग पुंकेसर के भीतर निर्मित होते हैं.
पुंकेसर के दो भाग होते हैं.
परागकण मुख्तः परागकोष में उत्पन्न होता है.
परागकणों का स्थानांतरण किसी वाहक जैसे जल, वायु अथवा पशुओं द्वारा होता है.