Sharir ke prakar kya hai – दोस्तों हम इंसानों की बुद्धि जैसे-जैसे बढ़ रही है. हम उतना ही सूक्ष्म स्तर पर चीजों को समझने का प्रयास करने लगे हैं. हम आज के समय में इतने एडवांस हो गए हैं कि शरीर के सूक्ष्मतम अंगों के बारे में जानते हैं. और उनके कार्यों, महत्व और उनकी उपयोगिता के बारे में हमें सब पता है. लेकिन आपको पता है की शरीर के कितने प्रकार हैं या Sharir ke prakar kya hai. तो चलिए इस आर्टिकल में हम इस बारे में गहराई से जानते हैं. इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक पूरा पढ़ें.
Sharir ke prakar kya hai
बात अगर शरीर के प्रकार की की जाए तो शरीर तीन प्रकार का होता है एक होता है स्थूल शरीर, दूसरा होता है सूक्ष्म शरीर और तीसरा होता है कारण शरीर.
स्थूल शरीर
शरीर के प्रकार में सबसे पहला प्रकार होता है स्थूल शरीर. स्थूल शरीर उस शरीर को कहते हैं जो पांच भौतिक तत्व छिति, जल, पावक, गगन, समीरा अर्थात पृथ्वी, वायु, अग्नि, जल और आकाश से निर्मित होता है. असल में भौतिक रूप में हम जिस शरीर को देख रहे हैं. वह वर्तमान में जो जीवित अवस्था में हमें दिखाई दे रहा है. उसे स्थूल शरीर कहते हैं.
सूक्ष्म शरीर
शरीर के दूसरे प्रकार यानी सूक्ष्म शरीर की अगर व्याख्या की जाए तो कहा जाता है कि मृत्यु के समय जब आत्मा शरीर से बाहर निकलती है तो वह आत्मा जिस नए शरीर में वास करती है उसे सूक्ष्म शरीर कहते हैं. अर्थात मृत्यु के तुरंत बाद आत्मा को जो शरीर मिलता है वह सूक्ष्म शरीर होता है. ऐसा कहा जाता है कि वह 18 तत्वों से बना होता है जिनमें पांच कर्मेंद्रियां होती हैं, पांच ज्ञानेंद्री होती है, पांच प्राण, मन होता है, बुद्धि होती है और अहंकार होता है.
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कारण शरीर
अब अगर शरीर के सबसे अंतिम और तीसरे प्रकार की बात की जाए तो कारण शरीर इन दोनों शरीर के प्रकारों से भी सूक्ष्म होता है. ऐसा कहा जाता है कि कारण शरीर केवल आत्मा को ढके हुए होता है. कारण शरीर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि कारण शरीर की प्रकृति अज्ञानता होती है. इसे सत्य का ज्ञान नहीं होता है. यही कारण है कि कारण शरीर आत्मा को ढके हुए रहती है और आत्मा को अपने वास्तविक स्वरूप की पहचान नहीं होती है. इसे और सरल शब्दों में समझे तो जब कारण निर्मित होता है. तभी शरीर का भी निर्माण होता है. शरीर को जो भी कार्य संसार में करने होते हैं. इस कार्य को संपन्न करने के लिए उसे शरीर को संसार में आना होता है.
और कार्य की समाप्ति होते ही यानी उसे शरीर का उद्देश्य पूर्ण होते ही वह शरीर अपना अस्तित्व खो देता है. यानी पांचो तत्व अपने-अपने पूर्ववत आकार में आ जाते हैं. फिर आत्मा अगली यात्रा यानी अगले कारण के लिए पुनर्जन्म लेने हेतु बाध्य हो जाती है. अर्थात कारण शरीर आत्मा के सबसे नजदीक होती है. और यह कारण के साथ पैदा होती है और कारण के साथ ही ख़त्म हो जाती है.
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निष्कर्ष –
हमें आशा है कि आपको इस बात की पूरी जानकारी मिल गई होगी कि Sharir ke prakar kya hai. ऐसे ही सवालों के लिए हमारे इस वेबसाइट से जुड़े रहे. और किसी भी सवाल या सुझाव को कमेंट बॉक्स में कमेंट कर अवश्य बताएं.
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