दोस्तों सही कहा गया है कि अगर हम भाव से भगवान को देखने की इच्छा रखते हैं, तो भगवान भी ऐसे भक्त को निराश नहीं करते हैं. अगर हम भगवान की प्रतीक्षा करते हैं, तो भगवान भी ऐसे भक्त के प्रतीक्षा को पूरा करते हैं और अपनी उपस्थिति से भक्त को भावुक कर देते हैं. ऐसा ही भावुक क्षण तब आया, जब अयोध्या में बने नए राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई.
हम इस आर्टिकल में यह जानेंगे कि आखिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद (Ram murti before and after pran pratishtha) ऐसा क्या हुआ कि रामलला मंद-मंद मुस्कुराने लगे.
रामलला का दैवीय चमत्कार (Ram murti before and after pran pratishtha)
हम अक्सर ईश्वर की उपस्थिति पर संदेह करते हैं. लेकिन कभी-कभी कुछ ऐसा घटित हो जाता है कि हमें लगता है ईश्वर हमारे बीच ही हैं और यह संदेह व्यर्थ है. ईश्वर अपनी उपस्थिति का संकेत अवश्य देते हैं. बशर्ते उसे संकेत को लेकर आप में भाव होना चाहिए ना कि संदेह.
ऐसा इसलिए कहना उचित होगा क्योंकि रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा के बाद हर राम भक्त रामलला की मूर्ति को देखकर आश्चर्य में है. जिन्होंने भी प्राण प्रतिष्ठा के पहले मूर्ति देखी थी और प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति देखी है. उन्होंने बहुत सारे बदलाव को महसूस किया है. यहां तक रामलला की मूर्ति को आकार देने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज ने भी इस बात को माना है कि रामलला ने अपने दिव्य चमत्कार का संकेत दे दिया है. उन्होंने अपनी उपस्थिति का शुभ संकेत राम भक्तों को दे दिया है.
प्राण प्रतिष्ठा के बाद बदल गई रामलला की मूर्ति क्या ये सच है (Ram Mandir Murti Before And After)
वैसे तो यह कहना गलत नहीं होगा कि मूर्तिकार अरुण योगीराज ने रामलला की मूर्ति को जो आकार दिया है, वह इतना अदभुत और आकर्षक है कि ऐसा प्रतीत होता है भगवान साक्षात सामने से दर्शन दे रहे हो.
उनकी यह सजीवता, उनकी उपस्थिति प्राण प्रतिष्ठा के बाद और बढ़ गई है. प्राण प्रतिष्ठा के बाद हर कोई यही कह रहा है जैसे यह पत्थर की मूर्ति नहीं रह गई है. इसमें रामलला अपनी उपस्थिति दर्ज कर चुके हैं. ऐसा प्रतीत होता है जैसे उनकी आंखें जीवित हो गई है. उनके चेहरे पर बच्चों जैसी मुस्कान आ गई है. ऐसा लगता है जैसे वह थोड़े-थोड़े शर्मा भी रहे हैं. प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला की मूर्ति को देखकर लगता है जैसे उन्होंने सच में साक्षात दर्शन दे दिया है.
क्या Ram murti before and after में आ गई है प्राण, बनाने वाले मूर्तिकार ने क्या कहा
वैसे तो इस तरह के कई फोटो वायरल हो रहे हैं लेकिन जब अरुण योगीराज जिन्होंने रामलला की मूर्ति को अपने हाथों से आकार दिया है. उन्होंने कहा कि जो प्रतिमा गर्भगृह के अंदर प्रतिष्ठित की गई है और प्रतिष्ठित होने के बाद जो प्रतिमा दिखाई दे रही है वह उन्होंने बनाया ही नहीं है. उन्होंने कहा कि मैंने जो मूर्ति बनाई थी या जिस प्रतिमा को आकार दिया था गर्भगृह के अंदर जाने के बाद उनके भाव बदल गए हैं,उनकी आंखें बोलने लगी है.
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वो बस यह कहना चाह रहे हैं कि मुझे यह चमत्कार करना नहीं आता है. यह तो रामलला का चमत्कार है. उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज कर दी है. उन्होंने यह कह दिया है कि लो राम भक्तों तुम्हारी प्रतीक्षा पूरी हुई. मैं आ गया.
Ram Lalla Before And After ऐसा क्या हुआ कि रामलला मंद-मंद मुस्कुराने लगे
असल में प्राण प्रतिष्ठा ऐसी प्रक्रिया ही होती है जिससे किसी भी जगह ऊर्जा को सजीवता के साथ प्रतिष्ठित किया जाता है. यानी उन्हें आमंत्रित किया जाता है. प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रतिमा में जान आ जाती है. ऐसा आस्था कहती है लेकिन अब प्रमाण भी यही कहता है कि हां यह बिल्कुल सत्य है.
इसको लेकर लोकप्रिय कथावाचक प्रेमानंद जी महाराज जिनके पूरी दुनिया में भक्त है और जो फिलहाल वृंदावन में रहते हैं. उन्होंने बहुत ही सुंदर जवाब देते हुए बताया कि प्राण प्रतिष्ठा यह कोई संशय का विषय नहीं है. यह शाश्वत सत्य है क्योंकि इस शाश्वत सत्य के पीछे महापुरुषों द्वारा बताया गया मंत्र और भक्तों का भाव होता है. उन्होंने कहा कि इन दोनों में असंभव को संभव बनाने का सामर्थ्य होता है. भगवान राम की प्रतीक्षा कोई एक दो भक्त नहीं बल्कि पूरे भारत और विदेश के करोड़ों भक्त कर रहे थे. उन सभी के भाव इससे जुड़ गए थे. उन्होंने कहा कि दशरथनंदन वहां पहले से ही मौजूद थे लेकिन मंत्र और भाव की वजह से प्राण प्रतिष्ठा के बाद विग्रह में राम जी ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी. इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है.
भावों का चमत्कार कुछ यूँ प्रभावी होता है
प्रेमानंद जी महाराज ने अपनी बात में आगे जोड़ते हुए बताया कि ऐसे ही भगवान नरसिंह प्रकट हुए थे. यही कारण है कि अयोध्या में बने नए राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद जो कुछ भी देखा गया है यह भाव और मंत्रों का चमत्कार है. प्राण प्रतिष्ठा के पहले और बाद के राम लाल की मूर्ति में जो अंतर पाया गया है इसका मुख्य कारण यही है. उन्होंने कहा कि विग्रह में भगवान साक्षात विराजमान हो गए हैं और यह अनुभव सदैव होता रहेगा.
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