बिंब विधान योजना से क्या तात्पर्य है उदाहरण सहित लिखिए – दोस्तों सामान्य भाषा में बिम्ब का अर्थ होता है चित्र. हिंदी साहित्य के अर्थ में अगर देखा जाए तो बिम्ब का तात्पर्य है कि जब हम किसी शब्द या वाक्य को पढ़ रहे होते हैं तो उससे संबंधित दृश्य हमारे मन में उभरने लगते हैं. यानी बिम्ब उस भाव को कहेंगे जिससे कुछ पढ़ते हुए उससे संबंधित दृश्य दिखाई देने लगे. हमें लगे कि हम पढ़ते हुए उस जगह पर ही मौजूद हैं. उसे महसूस कर पा रहे हैं. इसे ही बिंब कहते हैं.
अगर आप भी बिम्ब विधान योजना से क्या तात्पर्य है उदाहरण सहित लिखिए जैसे प्रश्न को लेकर परेशान हैं. तो इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े. आपको पूरी जानकारी मिलेगी. सारी गलतफहमियाँ भी दूर हो जाएंगी.
बिम्ब विधान क्या है?
बिम्ब शब्द अंग्रेजी के शब्द image का हिंदी रूपान्तरण है. इसका अर्थ किसी बिंदु, तथ्य या शब्द को मूर्त रूप या सजीव रूप प्रदान करना होता है. यह काव्य खंड के लिए एक उपयोगी तत्व है. इस तत्व का उपयोग करके कवि इस प्रकार की रचनाएं करता है. या अपनी कविता में शब्दों के माध्यम से इस प्रकार के भाव डालने का प्रयास करता है कि पाठक उसे पढ़ते हुए एक दृश्य रूप में देख सके या महसूस कर सकें. इसीलिए काव्य में बिम्ब को वह शब्द चित्र कहा गया है जो काल्पनिक तौर पर इंद्रियों के अनुभवों के आधार पर निर्मित होता है. बिंब विधान योजना से क्या तात्पर्य है उदाहरण सहित लिखिए
बिम्ब कोई वास्तविक पदार्थ नहीं है. यह किसी वास्तविक पदार्थ की प्रतिकृति या प्रतिछवि होती है. सरल शब्दों में कहा जाए तो शब्दों के माध्यम से बना चित्र ही बिम्ब कहलाता है.
बिम्ब में है इंद्रियों का विशेष महत्व
बिम्ब में इंद्रियों का विशेष महत्व है. कवि अपनी कल्पनाओं में इंद्रियों के माध्यम से ही कुछ दृश्य का अनुभव करता है. और उसे अपने कविता में शब्द रूप में लिखता है. वह शब्द असल में चित्रित रूप में होते हैं. उन शब्दों को पढ़कर ही पाठक या श्रोता उन शब्दों के पीछे छिपे हुए चित्र को सुन या देख पाते हैं. और कवि के अनुभव किए गए दृश्य से जुड़ पाते हैं.
महान विद्वानों ने किया है ऐसे परिभाषित –
विदेशी विद्वान सीडी लेविस ने बिम्ब की परिभाषा देते हुए कही है – काव्य बिम्ब एक ऐसा भावात्मक चित्र है. जो रूपक आदि का आधार ग्रहण कर भावनाओं को तीव्र करता हुआ काव्यानुभूति को सादृश्य तक पहुंचाने में समर्थ है.
हिंदी के विद्वान डॉ. नागेंद्र के शब्दों में – काव्य बिम्ब शब्दार्थ के माध्यम से कल्पना द्वारा निर्मित एक ऐसी मानस छवि है जिसके मूल में भाव की प्रेरणा रहती है.
हिंदी के एक अन्य विद्वान डॉ. केदारनाथ सिंह के अनुसार बिम्ब यथार्थ का एक सार्थक टुकड़ा होता है. वह अपनी ध्वनियों और संकेतों से भाषा को अधिक संवेदनशील और पारदर्शी बनाता है.
बिम्ब के गुण क्या होने चाहिए
- बिम्ब का सामान्य गुण है कि वह भावनाओं को उत्तेजित करने की शक्ति रखता है, इसलिए बिम्ब में भावनाओं की उत्तेजना का सामर्थ होना चाहिए.
- बिम्ब में नवीनता और ताजगी होनी चाहिए.
- बिंब विधान के अनुसार वह प्रसंग के अनुकूल होना चाहिए. वह अप्रासंगिक नहीं होना चाहिए.
- बिम्ब की स्पष्टता सुनिश्चित होनी चाहिए तथा वो संजीव होना चाहिए.
- बिम्ब में यह क्षमता होनी चाहिए कि पाठक आसानी से अपनी इंद्रियों के माध्यम से उसका अनुभव कर सके.

बिंब विधान योजना से क्या तात्पर्य है उदाहरण सहित लिखिए
उसकी आंखें थी, जैसे दिन का लाल सवेरा हो (चाक्षुष बिम्ब)
वह साइकिल की घंटियों को जोर-जोर से बजाते हुए भागा (श्रव्य बिम्ब)
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बिम्ब के कितने प्रकार हैं
बिम्ब को अलग-अलग आधार पर विभिन्न श्रेणियों में विभक्त किया गया है.
इंद्रियों के आधार पर बिम्ब के कुल पांच प्रकार हैं
- चाक्षुष बिम्ब
- श्रव्य बिम्ब
- स्पर्श्य बिम्ब
- घ्रातव्य बिम्ब
- आस्वाद्य बिम्ब
कल्पनाओं के आधार पर बिम्ब के दो प्रकार हैं
- कल्पित बिम्ब
- स्मृति बिम्ब
प्रेरक अनुभूति के आधार पर बम के कुल छह प्रकार हैं
- सरल बिम्ब
- मिश्रित बिम्ब
- तात्कालिक बिम्ब
- संकुल बिम्ब
- भावातीत बिम्ब
- विकीर्ण बिम्ब
निष्कर्ष –
हम आशा करते हैं कि बिंब विधान योजना से क्या तात्पर्य है उदाहरण सहित लिखिए इस प्रश्न का आपको सटीक जानकारी मिल गई होगी. और आप इसके अर्थ को भी सरल भाषा में समझ पाए होंगे.
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